“दो कौड़ी के डॉक्टर” टिप्पणी पर बवाल: रायपुर में डॉक्टरों का प्रदर्शन, माफी, जांच और प्रशासनिक सुधारों की मांग
रायपुर, 29 जून (टीएनएन):
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िला अस्पताल में पदस्थ एक वरिष्ठ महिला डॉक्टर के प्रति अतिरिक्त कलेक्टर द्वारा की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी “दो कौड़ी के डॉक्टर” को लेकर राज्यभर में चिकित्सक वर्ग में आक्रोश फैल गया है। शनिवार देर शाम रायपुर में तीन प्रमुख डॉक्टर संगठनों — जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (JDA), छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन (CGDF), और CIDA — ने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किया।
डॉक्टर संगठनों ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपकर अतिरिक्त कलेक्टर के व्यवहार की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की टिप्पणी ना केवल चिकित्सकीय पेशे की गरिमा को ठेस पहुँचाती है बल्कि महिला डॉक्टरों का भी अपमान है। पूरे राज्य में इस घटना को लेकर डॉक्टरों में गहरा रोष व्याप्त है।
मुख्य मांगें:
संबंधित अधिकारी से सार्वजनिक माफी की मांग
घटना की निष्पक्ष जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई
कार्यस्थलों पर डॉक्टरों की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश
एफ-टाइप सरकारी आवास में डॉक्टरों को प्राथमिकता
स्वास्थ्य प्रशासन में व्यापक सुधार
संगठनों ने सुझाव दिया कि स्वास्थ्य संस्थानों का निरीक्षण केवल वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा किया जाए, स्वास्थ्य विभाग से जुड़े समीक्षा कार्यों में केवल प्रशासनिक अधिकारी ही भाग लें, और डॉक्टरों से संबंधित शिकायतों की जांच केवल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी (CMHO/CS) करें। साथ ही उन्होंने मांग की कि सभी कलेक्टरों को डॉक्टरों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने के निर्देश दिए जाएं और शांतिपूर्ण विरोध में भाग लेने वाले डॉक्टरों के विरुद्ध कोई दमनात्मक कार्रवाई न की जाए।
नेताओं की प्रतिक्रिया:
डॉ. रेशम सिंह (अध्यक्ष, JDA), डॉ. हीरा सिंह (अध्यक्ष, CGDF), और डॉ. पीयूष श्रीवास्तव ने एक संयुक्त बयान जारी कर राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। CIDA के प्रवक्ता डॉ. ए.एस. चौहान ने कहा कि सरकार को इस विषय पर औपचारिक रूप से सूचित कर दिया गया है और यदि संतोषजनक कार्रवाई नहीं होती, तो राज्यभर के डॉक्टर अपनी सेवाएं स्थगित करने को विवश हो सकते हैं।
जिला कलेक्टर की प्रतिक्रिया:
नारायणपुर की कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगैंन ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि यह शिकायत 19 जून को प्राप्त हुई थी और घटना इससे तीन-चार दिन पहले की हो सकती है। उन्होंने बताया कि जांच के लिए जिला पंचायत सीईओ (जो स्वयं डॉक्टर हैं) की अध्यक्षता में टीम गठित की गई है। प्रारंभ में शिकायतकर्ता और अन्य डॉक्टर सहयोग नहीं कर रहे थे, जिससे ओपीडी कार्य प्रभावित हुआ। अब शिकायतकर्ता सहयोग कर रहे हैं, जिससे समाधान की उम्मीद है।