तेहरान/वॉशिंगटन/यरूशलेम:
ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनाव के बीच अब अमेरिका ने भी इस युद्ध में खुलकर दखल दे दिया है। अमेरिकी वायुसेना के दो B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने रविवार तड़के ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर बमबारी की। यह घटना अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और मध्य-पूर्व की सुरक्षा के लिहाज से एक बेहद गंभीर मोड़ मानी जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई अमेरिका द्वारा इज़राइल के साथ “रणनीतिक रक्षा संधि” के तहत की गई, जिसमें ईरान द्वारा संभावित परमाणु खतरे को तत्काल समाप्त करने की मंशा जताई गई थी। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह बमबारी “एक सीमित लेकिन निर्णायक जवाबी कार्रवाई” थी, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना है।
ईरान ने बताया अघोषित युद्ध का ऐलान
ईरानी विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए इसे “अंतरराष्ट्रीय संप्रभुता पर खुला हमला” बताया है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा, “यह एक सीधा युद्ध है, और ईरान इसका करारा जवाब देगा।” ईरानी सेना को उच्चतम स्तर की तैयारी में रखा गया है।
परमाणु ठिकानों की स्थिति
जिन तीन स्थानों पर बमबारी की गई है, उनमें नतान्ज़, फोर्दो और अराब नामक संवेदनशील परमाणु प्रतिष्ठान शामिल हैं। अभी तक ईरानी अधिकारियों ने नुकसान का आधिकारिक आंकलन साझा नहीं किया है, लेकिन कुछ असत्यापित वीडियो फुटेज में भारी धुआं और धमाकों की आवाजें सुनी गई हैं।
इज़राइल ने जताया समर्थन
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका की कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा, “ईरान पर लगाम कसना अब आवश्यक हो गया है। हम क्षेत्र में किसी भी आतंकवादी राष्ट्र को परमाणु शक्ति नहीं बनने देंगे।”
संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों की चिंता
इस घटनाक्रम के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई गई है। रूस, चीन और फ्रांस सहित कई देशों ने अमेरिका से संयम बरतने की अपील की है और चेतावनी दी है कि इससे तीसरे विश्व युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
भारत सहित विश्व बाजारों में हलचल
इस हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में अचानक तेज़ी देखी गई है और अंतरराष्ट्रीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई है। भारत ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विदेश मंत्रालय हालात पर बारीकी से नजर रख रहा है।
विश्लेषण:
अमेरिका द्वारा परमाणु ठिकानों पर सीधी कार्रवाई दर्शाती है कि मध्य-पूर्व अब सिर्फ क्षेत्रीय संकट नहीं, बल्कि वैश्विक संकट के मुहाने पर पहुंच चुका है। यदि इस टकराव को कूटनीति से नहीं संभाला गया, तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।