“सरकारी दमन के खिलाफ भड़के एनएचएम कर्मी, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन”

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शासन की दमनकारी नीतियों के विरोध में एनएचएम कर्मियों ने राज्यपाल के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, इच्छा मृत्यु की मांग के साथ दिवंगत साथियों को दी श्रद्धांजलि

दुर्ग। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी 18 अगस्त से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। सोमवार को सैकड़ों कर्मियों ने दुर्ग में विशाल रैली निकालकर राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने शासन की दमनकारी नीति और कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेशों का विरोध करते हुए इच्छा मृत्यु की अनुमति देने की मांग की।

हड़ताल के दौरान दिवंगत हुए 3 कर्मचारियों को गांधी चौक में मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि भी दी गई।

30 दिन बाद भी नहीं निकला आदेश :
जिला अध्यक्ष डॉ. आलोक शर्मा ने बताया कि कर्मचारियों पर बर्खास्तगी के आदेश शासन की तानाशाही सोच को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि “हस्ताक्षर अभियान चलाकर हमने महामहिम राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की मांग की है। सरकार पिछले 30 दिनों में हमारी मांगों पर आदेश जारी नहीं कर पाई है, जो उसकी असफलता को दर्शाता है।”

संघ के सचिव लक्की दुबे ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री लगातार मीडिया में यह कहते आ रहे हैं कि 5 मांगे मान ली गई हैं, तो फिर आदेश क्यों नहीं जारी हो रहे? “हमें केवल आश्वासन नहीं, आदेश चाहिए,” उन्होंने कहा।

न झुके, न डरे :
संयोजक टीकम जटवार ने स्पष्ट किया कि आंदोलन बिना लिखित आदेश के खत्म नहीं होगा। “सरकार ने 25 नेताओं को बर्खास्त किया, 16,000 कर्मियों को निकालने की कोशिश की, लेकिन किसी ने डरकर जॉइनिंग नहीं दी। हम झुकने वाले नहीं हैं।”

अब इच्छा मृत्यु ही अंतिम उपाय :
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने बताया कि आज प्रदेश के सभी 33 जिलों में धरना देकर कर्मचारियों ने इच्छा मृत्यु के लिए हस्ताक्षरित पत्र राज्यपाल को सौंपे। “हम 16,000 लोग बर्खास्त हो चुके हैं। अब इस सरकार पर भरोसा नहीं रहा। हमें मरने की अनुमति ही अंतिम उपाय लग रहा है,” उन्होंने कहा।

2019 से लंबित ग्रेड पे लागू करे सरकार :
उपाध्यक्ष दिव्या लाल ने कहा कि सबसे निचले स्तर पर कार्यरत कर्मचारी का वेतन मात्र 8,800 रुपये है, जिसमें से पीएफ कटने के बाद हाथ में केवल 7,000 रुपये मिलते हैं। “इस महंगाई में इतना वेतन घर चलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। हमें गृहभाड़ा भत्ता तक नहीं मिलता। सरकार को संवेदनशील निर्णय लेना होगा,” उन्होंने कहा।

हड़ताल के दौरान 3 साथियों का निधन :
सह सचिव चंद्रहास धनकर ने बताया कि हड़ताल के 30वें दिन गांधी चौक में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास दिवंगत हुए 3 कर्मचारियों को मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि दी गई। उन्होंने कहा कि “20 साल सेवा देने के बाद भी न तो अनुकंपा नियुक्ति मिलती है, न पेंशन। परिवार सड़कों पर आ जाता है। यही वजह है कि यह आंदोलन मजबूरी है।”

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